नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए)- 2019 के खिलाफ दायर की गईं 200 से ज्यादा याचिकाओं पर आज सुनवाई की। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने इस संदर्भ में किसी तरह के स्थगन आदेश देने के बजाय केंद्र सरकार से 3 हफ्ते के भीतर हलफनामा पेश करने का आदेश दिया है। हालांकि केंद्र सरकार ने अदालत से जवाब देने के लिए चार हफ्ते का समय मांगा था। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने किसी को भी नागरिकता न देने का गुहार लगाई। उनका कहना था कि अदालत ने 19 अप्रैल को अगली सुनवाई की तारीख तय की है। इस बीच अगर नागरिकता दी जाती है तो हम दोबारा अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ मामले की सुनवाई कर रही है, जिनमें न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा शामिल है। यहां उल्लेख करना प्रासंगिक होगा कि सीएए के खिलाफ याचिकाओं पर सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई चल रही है। सीएए को संसद ने 11 दिसंबर 2019 को पारित किया था। सीएए 1955 के नागरिकता अधिनियम में संशोधन करता है और यह व्यापक बहस और विरोध का विषय रहा है।यह कानून अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदू, सिख, जैन, पारसी, बौद्ध और ईसाई समुदायों से आने वाले उन प्रवासियों के लिए भारतीय नागरिकता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करता है, जो अपने संबंधित देशों में धार्मिक उत्पीड़न का शिकार हैं और 31 दिसंबर 2014 या उससे पहले भारत में प्रवेश कर चुके हैं।
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असम, गुवाहाटी : असम विधानसभा का इस वर्ष का बजट सत्र 17 फरवरी से शुरू होने जा रहा है। राज्यपाल...
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