नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के वोटों की वोटर वेरिफ़िएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) पर्चियों से 100 फीसदी मिलान संबंधी याचिकाओं को खारिज कर दिया। न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायाधीश दीपांकर दत्त की पीठ ने कहा कि किसी भी प्रणाली पर आंख मूंदकर संदेह करना किसी भी व्यवस्था के प्रति शक पैदा कर सकता है। पीठ ने कहा कि ‘संतुलित परिपेक्ष महत्वपूर्ण है। आंख मूंदकर किसी भी व्यवस्था पर संदेह करना उस व्यवस्था के प्रति शक पैदा कर सकता है। सार्थक आलोचना करने की जरूरत है फिर चाहे वो न्यायपालिका हो या फिर विधायिका। लोकतंत्र, सभी स्तंभों के बीच सद्भाव और विश्वास कायम रखने के बारे में है। विश्वास और सहयोग की संस्कृति को बढ़ावा देकर हम अपने लोकतंत्र की आवाज को मजबूत कर सकते हैं। अदालत ने ईवीएम संबंधी याचिकाओं को खारिज करने के साथ ही चुनाव आयोग के लिए भी दो निर्देश जारी किए हैं। जिसके पहले निर्देश के तहत अदालत ने कहा है कि आयोग को ईवीएम में चुनाव चिन्ह लोड करने के बाद चुनाव चिन्ह लोडिंग यूनिट को सील करके सुरक्षित जगह पर रखना चाहिए। इन सील कंटेनर्स को चुनाव नतीजे घोषित होने के 45 दिन बाद तक ईवीएम के साथ ही सुरक्षित स्टोर रूम में रखना चाहिए। अदालत ने ये भी निर्देश दिया कि निर्वाचन सीट पर चुनाव के बाद पांच प्रतिशत ईवीएम मशीनों, जिनमें ईवीएम के साथ कंट्रोल यूनिट, बैलेट यूनिट और वीवीपैट भी शामिल हो, उनके इस्तेमाल हुए मेमोरी सेमीकंट्रोलर्स, ईवीएम बनाने वाली कंपनी के इंजीनियर्स द्वारा चेक किए जाएं। दूसरे और तीसरे नंबर पर रहने वाले उम्मीदवारों की लिखित मांग पर जांच हो सकती है। चुनाव नतीजे घोषित होने के सात दिनों के भीतर यह मांग की जा सकती है। जांच की मांग करने वाले उम्मीदवार को ही इसकी लागत वहन करनी होगी और अगर ईवीएम में छेड़छाड़ का आरोप सही साबित हुआ तो चुनाव आयोग को उम्मीदवार को लागत के पैसे लौटाने होंगे।
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