कर्नाटक, बेंगलुरू : कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा कि पत्नी का अलग घर मांगना या अपनी मां या बहन से बिना बताए मिलने जाना तलाक का आधार नहीं हो सकता। तलाक के एक मामले को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि अलग घर मांगना या मां-बहन के घर मिलने जाना क्रूरता नहीं है। न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायाधीश एस विश्वनाथ शेट्टी की 2 सदस्य खंडपीठ ने ये फैसला सुनाया। याचिकाकर्ता ने पारिवारिक अदालत में कलह को लेकर अर्जी दी थी।
याचिकाकर्ता पति के मुताबिक साल 2002 में उसकी शादी हुई थी। शादी के कुछ समय बाद ही ही उसकी पत्नी अलग घर की मांग करने लगी। वह अपनी विधवा मां और छोटे भाई के साथ रहना चाहता है और उन दोनों की जम्मेदारी उसके कंधे पर है। पति का कहना है कि मां और भाई की जिम्मेदारी के चलते वो अपनी पत्नी की अलग घर की मांग नहीं मान सकता।
पति का ये भी कहना है कि उसकी पत्नी बिना उसकी मां और भाई को बताए बार-बार अपनी मां और बहन के घर चली जाती है। पति के मुताबिक उसकी इन्हीं आदतों के चलते उसकी जिंदगी तबाह हो गई है। पति का कहना है कि उसकी पत्नी साल 2017 में उसके बच्चे को लेकर घर से चली गई थी और फिर वापस नहीं आई।
बाद में उसकी पत्नी ने उसके और उसके परिवार के खिलाफ आईपीसी की धारा 498-A, 323, 504, 506 के अलावा दहेज निषेध अधिनियम, 1961 की धारा 3 और 4 के तहत उसके खिलाफ केस दर्ज करवाया। हालांकि पुलिस जांच में पति और उसके परिवार वाले इन मामलों में निर्दोष पाए गए।