नई दिल्ली : केंद्र सरकार भारत में सोशल मीडिया और टेक कंपनियों के देनदारी से बच निकलने के रास्ते (सेफ हार्बर) को कमजोर करने के लिए नये कानून पर विचार कर रही है। यह कानून सोशल मीडिया कंपनियों की जिम्मेदारी तय करने, नागरिकों के निजी डाटा की सुरक्षा और साइबर सुरक्षा को पुख्ता करने में मदद करेगा। इसे मौजूदा आईटी अधिनियम की जगह उपयोग किया जा सकता है। आईटी एक्ट के सेफ हार्बर नियम के अनुसार अगर इन कंपनियों के प्लेटफॉर्म का गैरकानूनी उपयोग होता है तो कंपनियों को कानूनी तौर पर जिम्मेदार नहीं माना जाता। हालात में सुधार के लिए नये आईटी नियम 2021 जारी हुए तो इनके खिलाफ विभिन्न अदालतों में केस दायर किए गए।
डाटा संरक्षण अधिनियम पर भी 2019 में विचार हो रहा है, लेकिन यह कानून की शक्ल नहीं ले पाया। संसद की संयुक्त समिति इसमें कई बदलाव सुझा चुकी है। ऐसे में नये कानून की जरूरत महसूस होने लगी। ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया से लेकर दक्षिण कोरिया तक टेक कंपनियों पर अपने कानून बदल रहे हैं। यूरोपीय संघ डिजिटल सर्विसेस एक्ट और डिजिटल मार्केट एक्ट के जरिए इन कंपनियों पर बड़ा नियंत्रण कर रहा है। यह कानूनों बने तो 1 जनवरी 2024 से कंपनियों को यूजर्स द्वारा किए गैर-कानूनी काम का जिम्मेदार माना जाएगा। यह कानून 4.5 करोड़ से ज्यादा यूजर्स वाली कंपनियों पर लागू होगा।