असम, गुवाहाटी : असम में पुलिस मुठभेड़ को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। सभी इसे सरकार की तानाशाही करार दे रही है। सड़क से लेकर सदन तक इसके खिलाफ आवाज उठ रही है। विपक्ष के साथ-साथ सामाजिक संगठनों का भी कहना है कि सरकार अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की आड़ में अपनी स्वार्थ की पूर्ति कर रहा है। इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए रायजोर दल के नेता एवं विधायक अखिल गोगोई ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार फर्जी मुठभेड़ों के जरिए असम में खुली हत्याओं को अंजाम दे रही है।
उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य दोनों में भाजपा सत्ता में होने के कारण राज्य भर में फर्जी मुठभेड़ों के माध्यम से खुली हत्या में लगी हुई है। उन्होंने कहा कि इन कथित मुठभेड़ों या पुलिस कार्रवाई में अब तक कम से कम 43 लोग मारे गए हैं। उनके मुताबिक यह मुठभेड़ फर्जी है। उन्होंने सुरज गोगोई का प्रसंग उठाते हुए कहा कि यह भी फर्जी मुठभेड़ है। उनके परिवार के सदस्यों ने हमें बताया है कि उसे सेना ने उल्फा-आई लिंकमैन होने के आरोप में उठाया था और फिर पुलिस को सौंप दिया गया था।
पुलिस हिरासत में उन्हें इमरान हुसैन नाम के एक सब-इंस्पेक्टर ने पॉइंट-ब्लैंक रेंज में गोली मार दी थी। उन्होंने आगे कहा कि भाजपा ने असम में लोकतंत्र की हत्या की है और ऐसा लगता है कि न्यायपालिका की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा ही सब कुछ हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अदालत, पुलिस और यहां तक कि न्यायाधीश भी खुद है। वे जो चाहे कर सकते हैं। उनका कहना था कि सरकार अपनी नाकामी छुपाने के लिए लोगों को असली मुद्दों से भटकाने का प्रयास कर रही है ताकि कोई उनसे सवाल पूछने की हिम्मत ना कर सके। वही इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए असम के राष्ट्रीय स्तर के मानवाधिकार और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. दिव्यज्योति सैकिया का कहना है कि जब से डॉ. हिमंत विश्व शर्मा ने मुख्यमंत्री का पद संभाला है, तब से ही असम में सैकड़ों मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामले सामने आए हैं।
असम पुलिस के एक वर्ग ने न केवल संदिग्ध अपराधियों बल्कि निर्दोष लोगों को भी बिना किसी गलती की सजा दी है। इस तरह से सड़कों पर आम लोगों को प्रताड़ित कर अराजक माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने दोहराते हुए कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के राज्य में ऐसा अमानवीय कृत्य न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन है बल्कि मौलिक अधिकारों का भी हनन है। उल्लेखनीय है कि उन्होंने इस संबंध में भारत के मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष के पास पहले ही शिकायत दर्ज कराई है।