जम्मू कश्मीर, श्रीनगर : श्रीनगर में दो अल्पसंख्यक शिक्षकों की हत्या के बाद फैले दहशत के मद्देनजर अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े कर्मचारियों को 10 दिन का अवकाश दिया गया है। अधिकतर अल्पसंख्यक समुदाय के शिक्षक व कर्मचारी ड्यूटी पर नहीं गए। इस बीच बड़ी संख्या में पीएम पैकेज के तहत नियुक्त कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने ट्रांजिट कैंप छोड़ दिया है। वे सुरक्षित स्थान पर अथवा जम्मू चले गए हैं। कुपवाड़ा में कश्मीरी पंडित शिक्षकों को ऑनलाइन क्लास लेने और स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को माइग्रेंट कैंप से काम करने को कहा गया है।
इस बीच स्वास्थ्य विभाग के दो कर्मचारियों को भी माइग्रेंट कॉलोनी की डिस्पेंसरी में अगले आदेश तक काम करने को कहा गया है। श्रीनगर में दो शिक्षकों की हत्या के बाद पीएम पैकेज के तहत 2010-11 में नियुक्त कश्मीरी पंडित कर्मचारियों में दहशत है। इसी भय से बडगाम, अनंतनाग व पुलवामा से लगभग 500 से अधिक कर्मचारियों ने जम्मू का रुख किया है। कुछ गैर कश्मीरी पंडित परिवार भी सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं। दक्षिणी कश्मीर के काजीगुंड स्थित वेसू विस्थापित कैंप सुबह से ही पुलिस छावनी में तब्दील दिखा।
कश्मीरी पंडितों को कैंप न छोड़ने के लिए समझाते रहे अधिकारी डीसी डॉ पीयूष सिंगला व अन्य अधिकारी कश्मीरी पंडितों को कैंप न छोड़ने के लिए समझाते रहे। यहां 380 परिवार रहते हैं। इनमें से 20 फीसदी लोग जम्मू चले गए हैं। वेसू कैंप पैकेज इम्प्लाइज एसोसिएशन के अध्यक्ष सनी रैना ने बताया कि प्रशासन ने उन्हें पूरी सुरक्षा देने का आश्वासन देते हुए जम्मू न जाने की अपील की है।
कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति के अध्यक्ष संजय टिक्कू का कहना है कि यह 1990 की याद दिलाता है। कहा कि विश्वास बहाली के कदम के तहत पंडितों को रोजगार देना अल्पसंख्यक विरोधी ताकतों को रास नहीं आ रहा। दक्षिणी कश्मीर के अनंतनाग जिले के मट्टन में पीएम पैकेज इम्प्लाइज एसोसिएशन के अध्यक्ष विनोद रैना ने बताया कि अल्पसंख्यक समुदाय पर पिछले दिनों हुए हमले के साथ ही कैंप से बाहर रह रहे 250 लोग जम्मू चले गए। श्रीनगर में दो शिक्षकों की हत्या के बाद मुस्लिम समुदाय के साथी कर्मचारियों ने उन्हें कैंप तक सुरक्षित पहुंचाया।