गुवाहाटी, 11 अप्रैल (ख.सं)। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने लोकतंत्र में युवाओं की ज्यादा से ज्यादा भागीदारी की वकालत करते हुए कहा कि ऐसा होने पर न केवल संसदीय व्यवस्था मजबूत होगी बल्कि उसे और अधिक जवाबदेही एवं पारदर्शी भी बनाया जा सकेगा। युवा अपने ऊर्जा, क्षमता, आत्मविश्वास, तकनीकी ज्ञान और नवाचार से सामाजिक आर्थिक बदलाव लाते हैं और युवाओं का लोकतंत्र में जितना अधिक योगदान होगा शासन उतना ही पारदर्शी बनेगा। उन्होंने आजादी के आंदोलन में युवाओं के बलिदान का जिक्र करते हुए कहा कि युवाओं को राष्ट्र प्रेम की भावना से नए भारत के निर्माण से जोड़ना होगा और इसके लिए हमें युवाओं को संविधान से जोड़ उनकी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी।
असम विधानसभा भवन में आयोजित राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) की भारत क्षेत्र के 8वे सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए उन्होंने आगे कहा कि भारतीय लोकतंत्र को दुनिया का सबसे प्राचीन, कार्यशील, सशक्त और जीवंत लोकतंत्र माना जाता है और दुनिया भारतीय लोकतंत्र को एक आदर्श के रूप में देखती है। उन्होंने कहा कि भारत का लोकतंत्र विश्व का सबसे प्राचीन और सशक्त लोकतंत्र है। ग्राम पंचायत से लेकर संसद तक भारतीय लोकतंत्र की ताकत दिखाई देती है। उन्होंने कहा कि दुनिया में सर्वाधिक मतदान करने वाले लोग भारत में है। लोक सभा के लिए हुए 17 आम चुनाव और 300 से ज्यादा विधानसभा चुनावों में मतदाताओं की लगातार भागीदारी बढ़ रही है और जनता का विश्वास भी बढ़ा है। सरकार के देश के आकांक्षी जिलों (विकास की दौड़ में पिछड़ चुके) के विकास के लिए चलाई जा रही विशेष योजनाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने सभी जनप्रतिनिधियों से उनके हक की आवाज उठाने का आह्वान करते हुए कहा कि वंचित वर्गों का कल्याण लोकतांत्रिक संस्थाओं के माध्यम से ही होगा।
उनका कहना था कि विधायिका की मूल जिम्मेदारी लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करना है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि समाज के आकांक्षी वर्गों की जरूरतों को मद्देनज़र रखते हुए गहन बहस और चर्चा के बाद कानून बनाए जाएं। लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में युवाओं और महिलाओं की सक्रिय भागीदारी का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि पंचायत से लेकर संसद तक लोकतांत्रिक संस्थाओं को युवाओं और महिलाओं को नीति निर्माण के केंद्र में रखना चाहिए। यह कार्यपालिका की अधिक जवाबदेही सुनिश्चित करेगा। इस संबंध में उन्होंने लोगों को संवैधानिक मूल्यों से अवगत कराने में युवा संसद एवं संविधान को जानो जैसी पहलों की सराहना की। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि सांसदों को समाज के आकांक्षी वर्गों की भावनाओं को आवाज देनी चाहिए और उनके कल्याण के मुद्दों पर विधायिकाओं के पटल पर बहस करनी चाहिए। बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर और महात्मा ज्योतिराव फुले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हमारी नीतियां और कार्यक्रम संविधान के मनिषिओं द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में होने चाहियें ।
प्रधानमंत्री के शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे और अन्य क्षेत्रों पर विचारों और कार्यवाही को इस दिशा में उल्लेखनीय कदम मानते हुए उन्होंने जन केंद्रित नीति निर्माण के लिए जनप्रतिनिधियों द्वारा सक्रिय भागीदारी और चर्चा का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) दुनिया में लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत करने और लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए काम कर रहा है। असम के पूर्व नेताओं को याद करते हुए उन्होंने कहा कि उनके द्वारा उठाए गए कदमों ने राज्य में विकास को सुनिश्चित किया है। इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि लोकतंत्र और लोकतांत्रिक मूल्य भारतीय जीवन शैली के अभिन्न अंग हैं। प्राचीन काल से भारत में लोकतांत्रिक संस्थाएं फल-फूल रही हैं। उन्होंने यह भी जिक्र किया कि भारत और असम में राजनीति लोकतांत्रिक सिद्धांतों के इर्द-गिर्द घूमती है। पिछले आठ दशकों के दौरान असम विधान सभा ने कई ऐतिहासिक बहसें देखी हैं, जिनमे कई महान हस्तियां ने लोकतंत्र के इस मंदिर को सुशोभित किया हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि आधुनिक लोकतंत्र में जनता अपने चुने हुए प्रतिनिधियों से बहुत उम्मीद करती है। लोग चाहते हैं कि सांसद उनकी आवाज बनें और उनके जीवन को प्रभावित करने वाले बुनियादी मुद्दों के समाधान के साथ-साथ उनके सपनों और आकांक्षाओं को पूरा करने की जिम्मेदारी निभाएं। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण का जिक्र करते हुए कहा कि भारत में लोकतंत्र जीवन जीने की पद्धति है।
उन्होंने असम के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों और दिग्गज नेताओं को याद करते हुए बताया कि असम विधानसभा का अत्याधुनिक भवन दिसंबर तक तैयार हो जाएगा, जो हाईटेक के साथ-साथ सभी जरूरी सुविधाओं से लैस है। उन्होंने इसके उद्घाटन के लिए मंच से ही लोकसभा अध्यक्ष को दोबारा असम आने का न्योता भी दिया। असम विधान सभा के अध्यक्ष विश्वजीत दैमारी ने सम्मेलन में अपनी गरिमामयी उपस्थिति के लिए लोकसभा अध्यक्ष को धन्यवाद दिया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सम्मेलन असम विधान सभा को अपनी लोकतांत्रिक जिम्मेदारियों को और अधिक प्रभावी तरीके से निर्वहन करने के लिए प्रोत्साहन देगा। कार्यक्रम को राष्ट्रमंडल संघ के कार्यवाहक अध्यक्ष इयान लिडेल ग्रिंगर ने भी संबोधित किया और असम विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष देवव्रत सैकिया ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
गौरतलब है कि इस दो दिवसीय सम्मेलन में समाज के स्पष्ट वर्गों के लिए विकास के परिणाम को अनुकूलित करने में मदद करने के लिए विधायी निरीक्षण को मजबूत करना पर चर्चा आरंभ की। इस दौरान उपस्थित प्रतिनिधि युवा केंद्रित नीतियों को मुख्यधारा में लाना और राष्ट्रीय विकास और सामान्य भलाई के लिए युवा ऊर्जा का उपयोग पर चर्चा की जाएगी। कल होने वाले समापन समारोह में राज्यपाल, प्रो. जगदीश मुखी भी उपस्थित रहेंगे। मालूम हो कि इस सम्मेलन की बैठक में देश के 22 राज्यों के विधान सभा अध्यक्ष, विधानमंडलों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष भी भाग ले रहे हैं।