नई दिल्ली: पेगासस जासूसी कांड में शशि थरूर की अगुवाई वाली संसद की स्थायी समिति केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय और केंद्रीय गृह मंत्रालय से पूछताछ करेगी. पेगासस कांड में देश-विदेश के हजारों लोगों के नंबर पर हुई बातचीत को चुराने का आरोप है. दावा किया जा रहा है कि इजराइली पेगासस सॉफ्टवेयर से देश के कई पत्रकारों और नेताओं के फोन टेप हुए हैं और इन्हें सरकारों को मुहैया कराई गई है. यह मामला तूल पकड़ने के बाद कांग्रेस नेता शशि थरूर (Shashi Tharoor) की अध्यक्षता वाली IT मामलों में संसद की स्थायी समिति पेगासस (Pegasus) से जुडे़ ‘नागरिक डेटा सुरक्षा और सिक्योरिटी विषय को लेकर बैठक करेगी.
भारत की न्यूज वेबसाइट वायर, अमेरिकी वाशिंगटन पोस्ट और कई विदेशी मीडिया ने पेगासस प्रोजेक्ट के तहत यह दावा किया है कि इस स्पाईवेयर से देश के कई लोगों की जासूसी की जा रही है. अंतरराष्ट्रीय मीडिया संघ ने रविवार को दावा किया कि भारत में कई कारोबारियों व कार्यकर्ताओं के साथ दो मंत्रियों, 40 से ज्यादा पत्रकारों, विपक्ष के तीन नेताओं और एक मौजूदा न्यायाधीश समेत 300 से ज्यादा सत्यापित मोबाइल फोन नंबरों की इजरायली स्पाईवेयर पेगासस के जरिए हैकिंग की कोशिश की गई. इनमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर समेत कई बड़े नेताओं, 40 पत्रकारों, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश और अन्य लोगों के नंबर शामिल बताए जा रहे हैं.
हालांकि सरकार इसमें किसी भी तरह की संलिप्तता होने से इंकार करती है. सोमवार को आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि इस जासूसी मामले में कोई तथ्य नहीं है. उन्होंने कहा कि देश में इसके लिए मजबूत स्थापित प्रक्रिया है जिसके तहत राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में वैध तरीके से इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन को इंटरसेप्ट किया जाता है. खासकर उन स्थितियों में जब यह जनता के हित में हो. ऐसे में अनाधिकृत सर्विलांस किसी भी हालत में नहीं किया जाता है. वहीं पेगासस मामले को लेकर शशि थरूर ने ट्वीट करते हुए कहा था ‘यह साबित हो गया है कि भारत में जांचे गए फोन में पेगासस का अटैक था, क्योंकि यह उत्पाद केवल सरकार को बेचा जाता है.