असम, गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा ने जब से अल्पसंख्यक समुदाय को गरीबी कम करने और सामाजिक समस्याओं को नियंत्रित करने के लिए उचित जनसंख्या नीति अपनाने को सलाह दी है, तब से ही राज्य में इसको लेकर बहस शुरू हो गई है।
विपक्ष लगातार सरकार को कटघरे में खड़े कर रही है। प्रदेश कांग्रेस ने जहां जनसंख्या विस्फोट के संदर्भ में मुख्यमंत्री को बयान को गलत सूचना और भ्रामक करार दिया वहीं दूसरी ओर एआईयूडीएफ ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने जानबूझकर मुसलमानों को निशाना बनाया है और उनका बयान राजनीतिक से प्रेरित है।
इन्हीं गहमागहमी बयानों के बीच असम भाजपा ने आज कहा कि राज्य में हिंदुओं के मुकाबले मुसलमानों की जनसंख्या में 3 गुना अधिक रफ्तार से वृद्धि हुई है। इस वृद्धि दर को पार्टी ने अस्वाभाविक करार दिया है। आज यहां आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पार्टी के उपाध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव जयंतमल्ल बरूवा ने जनगणना के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि 2001 से 2011 के बीच राज्य में मुस्लिम आबादी की वृद्धि दर 3.3 प्रतिशत है, जो सभी राज्यों में सबसे अधिक है।
साथ ही आगामी 2021 की जनगणना में मुस्लिम आबादी में 5.81 प्रतिशत और बढ़ने का अनुमान है और यह राज्य की कुल आबादी का 40.03 प्रतिशत होगा। उन्होंने आगे कहा कि 1971 में हिंदुओं की कुल आबादी का 72.51 फीसदी हिस्सा था। जबकि मुस्लिमों की कुल आबादी कुल आबादी का 24.57 फीसदी थी। 2011 में हिंदुओं का प्रतिशत 61.48 प्रतिशत और मुसलमानों का 34.22 प्रतिशत था।
उन्होंने यह भी कहा कि 2011 की जनसंख्या में कहा गया है कि राज्य के 8 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां मुसलमानों की आबादी 22 प्रतिशत तक बढ़ी है। पिछले 10 सालों में दलगांव,ढिंग, नावबेंचा, जमुनामुख, जनिया, रूपहीहाट एवं दक्षिण सलमारा में मुसलमानों की जनसंख्या 17 प्रतिशत की दर से भारी वृद्धि हुई है। उनका कहना था कि इसे महज इत्तेफाक नहीं कहा जा सकता।
उन्होंने यह भी कहा कहा कि असम में मुस्लिम आबादी देश के अन्य राज्यों की तुलना में बहुत तेज दर से बढ़ी है। अब होने वाले जनगणना में कई और जिलों में मुसलमान बहुसंख्यक हो जाएंगे।