असम, गुवाहाटी: असम विधानसभा सत्र के अंतिम दिन आज गौ सुरक्षा कानून का प्रसंग सदन में छाया रहा। सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्षी सदस्यों ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रियाएं दी। राज्यपाल के अभिभाषण पर हुए चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि प्रस्तावित गौ संरक्षण विधेयक राज्य के बाहर से विशेष रूप से पश्चिम बंगाल की ओर से मवेशियों के परिवहन पर प्रतिबंध लगाएगा और राज्य में गोमांस की खपत को सीमित करेगा।
गौरतलब है कि सत्र में राज्यपाल जगदीश मुखी ने अपने भाषण में कहा था कि सरकार अगले सत्र में गो संरक्षण विधेयक लाने पर विचार कर रही है। इसके बाद राज्य में तीखी प्रतिक्रिया देखी जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि गाय हमारी मां है और लोग इसकी पूजा करते हैं। हम एक ऐसा कानून लाना चाहते हैं जिसके द्वारा हम पश्चिम बंगाल से पशु परिवहन को रोक सकें और हम चाहते हैं कि एक ऐसे इलाके में गोमांस की खपत को रोका जाए, जहां अधिकांश लोग स्थिति की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए इसकी पूजा करते हैं। उन्होंने यहां तक कहा कि लखनऊ के दारुल उलूम के ऐसे बयान थे जिनमें उन्होंने कहा था कि हिंदू बहुल इलाकों में गौ मांस नहीं खाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हम लोगों से अपने खाने की आदतों को बदलने के लिए नहीं कह रहे हैं, लेकिन उदाहरण के लिए फैंसी बाजार या गांधीबस्ती जैसी जगहों पर गौ मांस बेचने की दुकान की जरूरत नहीं है। हमें स्थिति की संवेदनशीलता और लोगों की भावनाओं को समझने की जरूरत है। चर्चा में हिस्सा लेते हुए भाजपा के मृणाल सेकिया ने कहा कि इस कानून को अन्यथा नहीं लिया जाना चाहिए। यह हमारे आस्था का सवाल है।
गौ हमारी माता है और हम इसकी पूजा करते हैं। इसके मूत्र और गोबर का इस्तेमाल कई कामों के लिए किया जाता है। जयंत मल्ल बरुवा ने कहा कि या प्रसंग हमारे सभ्यता और संस्कृति से जुड़ा हुआ है। संविधान की धारा 48 में उल्लेख है कि कृषि से जुड़े किसी भी जीव जंतुओं की हत्या अपराध है। इसलिए हम गौ माता की हत्या स्वीकार नहीं कर सकते।
इस कानून के जरिए तस्करी पर लगाम लगाया जा सकेगा। सीपीआईएम के विधायक मनोरंजन तालुकदार ने कहा कि सरकार पहले पशुधन की तस्करी पर हो रही सिंडिकेट के खिलाफ कार्यवाही करें। यह कानून सिंडिकेट रात को खत्म नहीं कर सकता। एआईयूडीएफ के विधायक अमीनुल इस्लाम ने कहा कि यहां गोमांस की खपत और बिक्री कानूनी है।
लगभग सभी पूर्वोत्तर राज्यों में कई समुदायों द्वारा गोमांस का मांस खाया जाता है। उन्होंने आगे कहा कि कहा कि इस तरह का विधेयक अनावश्यक था और केवल वास्तविक मुद्दों पर जनता का ध्यान हटाने के लिए उछाला गया। यह कानून पूर्वोत्तर राज्यों में क्यों नहीं लाया जा रहा है।