क्रूज ड्रग्स मामले में बॉलीवुड के सुपरस्टार शाहरुख खान के बड़े बेटे आर्यन खान के जेल से रिहाई से लेकर मन्नत तक के सफर को जिस तरह से उत्सव के माहौल के रूप में प्रदर्शित किया गया, उससे देशभर में काफी तीखी प्रतिक्रियाएं देखी जा रही हैं। कहीं पर खुशी मनाई जा रही तो कई लोगों ने अपनी नाराजगी भी व्यक्त की है।
इस बारे में सबसे बड़ा बयान अखिल भारतीय मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी का आया है। उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि जिसके पास पैसा है उसके बेटे की जमानत भी हो जाती है और उस पर सुनवाई भी। उनका कहना था कि महाराष्ट्र में दलित और मुसलमानों के खिलाफ मामले चल रहे हैं, उसके लिए कौन बोलेगा?
उनका स्पष्ट यह भी कहना था कि उन्हें किसी फिल्म स्टार के बेटे के बारे में कहने से ज्यादा उन लोगों के बारे में बात करना पसंद करूंगा जो गरीब हैं। 27 फीसदी मुसलमान उत्तर प्रदेश की जेलों में बंद हैं, उनके बारे में कौन बात करेगा? ऐसे में वे हमेशा उनकी बात करेंगे, जो मजलूम एवं सताए हुए हैं। उनके अलावा कैसे लोग सोशल मीडिया पर लगातार इस बारे में अपनी बात खुल कर लिख रहे हैं। उनका मानना है कि इस पूरे प्रकरण का ग्लैमर करना आने वाली युवा पीढ़ी के लिए गलत संदेश पहुंचाने जैसा हुआ है।
इस संदर्भ में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए असम के अंतरराष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार विजेता ड्रग्स विरोधी नेता और मानवाधिकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. दिव्यज्योति सैकिया ने कहा कि आर्यन खान को लेकर मीडिया के एक वर्ग ने जिस तरह से दिवाली से पहले त्यौहार का माहौल बनाया वह ड्रग्स लेने वाले युवाओं को गलत संदेश पहुंचा रहा है। उनका कहना था कि उनके जेल से रिहा होने से लेकर घर पहुंचने तक जिस तरह से स्वागत किया गया, उससे ऐसा लगता है वह कोई विजेता बनकर आया है।
उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या वह क्रिकेट का वर्ल्ड कप लाया है या फिर ओलंपिक से गोल्ड मेडल। जब उसने देश का नाम रोशन करने वाला कोई काम नहीं किया तो फिर क्यों उसे ग्लैमराइज किया गया। वह ड्रग्स एडिक्ट है और उसके साथ वैसा ही आचरण होना चाहिए, जैसा किसी अन्य के साथ होता है। ऐसा नहीं होने पर ड्रग एडिक्ट युवाओं के बीच न केवल गलत संदेश जाएगा, बल्कि उन्हें इस नशे के दलदल में फंसने के लिए प्रेरित भी करेगा।