असम, गुवाहाटी : असम में रंगाली बिहू की धूम शुरू हो चुकी है। चारों ओर ढोल, पेपा, ताल और गगना की आवाज गूंज रही है। असमिया नव वर्ष को चिह्नित करते हुए सबसे बड़े त्योहार रगाली बिहू मनाया जा रहा है। पिछले दो वर्षों में बिहू उत्सव महामारी के कारण मौन रहा है। हालांकि इस बार सरकार ने बिना किसी रोक-टोक के जश्न मनाने की इजाजत दी है।
राज्य ने पिछले दो हफ्तों में केवल एक कोविड मामले की सूचना दी है। चारों ओर उत्साह के माहौल के बीच सरकार भी बिहू उत्सव समितियों को एकमुश्त सहायता राशि प्रदान कर रही है। इसके तहत राज्य के 30 जिलों की लगभग 1265 बिहू समितियों को 165 लाख रुपये प्रदान किये गये हैं। वहीं दूसरी ओर गायक कलाकार भी राज्य के अलग-अलग बिहू मंचों पर गीतों की प्रस्तुति देने को तैयार है।
गौरतलब है कि रंगाली बिहू को बोहाग बिहू भी कहां जाता है जो नववर्ष की शुरुआत कहलाता है। बिहू को फसलों का त्योहार भी कहा जाता है। ये त्योहार इस साल 14 अप्रैल से मनाया जा रहा है। इस दिन लोग भगवान को फसल की अच्छी पैदावार का धन्यवाद करते हैं। पकी फसल की कटाई की जाती है। इस दिन पारंपरिक नृत्य बिहू किया जाता है। लोक संगीत के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस मौके पर लोग तरह- तरह के व्यंजनों का आनंद लेते हैं। बोहोग बिहू की एक दूसरे को बधाई देते हैं।