असम, गुवाहाटी : असम मानवाधिकार आयोग (एएचआरसी) ने नगांव जिले में एक पूर्व छात्र नेता पर पुलिस फायरिंग की घटना का स्वत: संज्ञान लिया है। एएचआरसी ने राज्य के मुख्य सचिव जिष्णु बरुआ को नोटिस जारी कर पूछा है कि राज्य सरकार को उस व्यक्ति को मुआवजा क्यों नहीं देना चाहिए। सूत्रों के मुताबिक एएचआरसी ने 24 जनवरी को एक स्वत: संज्ञान आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि मानवाधिकारों के उल्लंघन का प्रथम दृष्टया मामला है।
एएचआरसी के सदस्य नव कमल बोरा ने कहा कि पीड़ित (कीर्ति कमल बोरा) को अंतरिम राहत के रूप में 1.5 लाख रुपये के मुआवजे के भुगतान की सिफारिश क्यों नहीं की जानी चाहिए, यह बताने के लिए असम के मुख्य सचिव को नोटिस जारी करना आवश्यक समझा गया है।
आयोग ने मुख्य सचिव के जवाब के साथ मामले की अगली सुनवाई के लिए 28 फरवरी की तारीख तय की है। गौरतलब है कि बोरा 22 जनवरी को नगांव जिले में पुलिस फायरिंग में घायल हो गए थे, जिसके कारण विपक्षी दलों और सामाजिक समूहों ने इसे प्रचलित पुलिस जंगल राज का प्रभाव बताया और दावा किया कि वर्तमान स्थिति 1990 के दशक की गुप्त हत्याओं से भी बदतर है।
पुलिस ने दावा किया कि पूर्व नगांव कॉलेज के महासचिव ड्रग्स बेच रहे थे और कानून लागू करने वालों पर हमला करने के बाद उन्हें पैर में गोली मार दी गई थी, जबकि अखिल असम छात्र संघ (आसू) ने आरोप लगाया था कि उन्होंने नशे में पुलिसकर्मियों द्वारा एक युवक की पिटाई का विरोध किया था और यह उन्हें चिढ़ाया। घटना पर सार्वजनिक प्रतिक्रिया के दबाव में मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा ने 23 जनवरी को अतिरिक्त मुख्य सचिव पवन कुमार बरठाकुर के एक सदस्यीय आयोग द्वारा पुलिस फायरिंग की परिस्थितियों की जांच करने की घोषणा की थी।
असम पुलिस ने फायरिंग के अगले दिन नगांव के कचलुखुआ में हुई गोलीबारी की घटना में शामिल पुलिसकर्मियों को पुलिस रिजर्व में भेज दिया था। उधर इस घटना को लेकर नगांव जिले के पुलिस अधीक्षक आनंद मिश्रा लगातार लोगों के निशाने पर हैं। उनके खिलाफ लगातार हल्ला बोल हो रहा है।
विपक्षी राजनीतिक दल सरकार पर भी तीखे प्रहार कर रहे हैं। इस पूरे घटनाक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते राष्ट्रीय स्तर के मानव अधिकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. दिव्यज्योति सैकिया ने कहा कि अगर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग इस बारे में तत्काल कदम नहीं उठाता तो आने वाले दिनों में और कई बेकसूर लोग फर्जी एनकाउंटर में मारे जाएंगे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा के शासन भार संभालने के बाद पुलिस बेकसूर लोगों को अपराधी बनाकर हत्या कर रही है।
उन्होंने गृह विभाग पर सवालिया निशान दागते हुए आरोप लगाया कि अब तक जितने भी एनकाउंटर हुए हैं उनमें से 99 प्रतिशत एनकाउंटर फर्जी है।