बिहार, औरंगाबाद: दाउदनगर जेल में बंद एक कैदी को छोड़े जाने के नाम पर 500 रुपया नहीं देने पर जेल प्रशासन द्वारा बेरहमी से पिटाई का मामला तूल पकड़ लिया है। मीडिया में मामला सामने आने के बाद जिला अधिकारी सौरभ जोरवाल ने इसे गंभीरता से लेते हुए जेल अधीक्षक को तलब करने के साथ इसकी जांच के भी आदेश दिए हैं।
उन्होंने इसके लिए एक जांच टीम भी गठित की है। उन्होंने बताया कि दाउदनगर की एसडीओ अनुपम कुमारी के नेतृत्व में जांच टीम का गठन किया गया है। इस टीम में औरंगाबाद के अपर एसडीओ एवं दाउदनगर के अनुमंडल पुलिस अधिकारी राजेश कुमार को शामिल किया गया है। वे अपनी रिपोर्ट 24 घंटे के अंदर सौंपेंगे।
उनके हाथ जैसे ही जांच रिपोर्ट लगेगी वह तुरंत उस पर कार्रवाई करेंगे। मालूम हो कि नगर थाना क्षेत्र के श्रीकृष्ण नगर मोहल्ला निवासी विकास कुमार को एक मामले में पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। हालांकि उसे अदालत से जमानत मिल गई थी। जेल प्रशासन ने उसके रिहाई के बदले 500 रुपए की मांग की थी।
जब पैसा नहीं दिया गया तो उसे जेल के अंदर बेरहमी से पिटाई की गई। इसके बाद उसके बड़े भाई ने पैसा देकर उसे जेल से रिहा करवाया। जेल के बाहर आते ही उन्होंने मीडिया के सामने पूरी घटना की जानकारी दी। जब मामला तूल पकड़ा तो डीएम ने इसकी संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दिए। फिलहाल उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
माना जा रहा है कि सच्चाई सामने आने पर जेल अधीक्षक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सकती है। इस घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राष्ट्रीय स्तर के असम के मानवाधिकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. दिव्यज्योति सैकिया ने बिहार पुलिस एवं जेल अधीक्षक की कड़ी शब्दों में निंदा की है। उनका कहना है कि यह सरासर मानवाधिकार का उल्लंघन है।
घटना में शामिल दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने बिहार मानवाधिकार आयोग से भी घटना की जांच की मांग की। उन्होंने यह भी कहा कि जांच इस स्तर की होनी चाहिए कि फिर दोबारा कोई पुलिसकर्मी कानून को हाथ में लेकर इस तरह के अनैतिक कार्य न करें।