महाराष्ट्र, मुंबई : केंद्रीय पोत परिवहन मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (आईएनएसटीसी) को मार्क करने के लिए मुंबई में आज चाबहार दिवस मनाया। चाबहार बंदरगाह भारत को सेंट्रल एशिया और यूरोप के मार्केट से जोड़ता है। इस समारोह के दौरान ईरान, किर्गिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, कजाखिस्तान सहित अफगानिस्तान के प्रतिनिधि मौजूद रहे। इस मौके पर सोनवाल ने अपने संबोधन में कहा कि भारत चाबहार के शहिद बेहश्ती पोर्ट को एक ट्रांजिट हब बनाना चाहता है तथा इसको सेंट्रल एशियाई देशों तक पहुंचने के लिए आईएनएसटीसी से भी जोड़ना चाहता है। केंद्रीय मंत्री ने सभी प्रतिनिधियों और इसके स्टेकहोल्डरों को सुझावों के साथ आगे आने को कहा ताकि इसको भारत से ईरान और सेंट्रल एशिया तक पहुंचने के लिए सस्ता, तेज और अधिक भरोसेमंद मार्ग बनाया जा सके। इस समारोह के दौरान सेंट्रल एशियाई देशों के प्रतिनिधियों ने बताया कि चाबहार के आईएनएसटीसी से लिंक हो जाने पर उनके इलाके में ट्रेड को बढ़ावा मिल सकता है तथा इससे लैंड-लाक वाले देशों में विकास के नए मौके खुल सकते हैं। गौरतलब है कि चाबहार बंदरगाह भारत के हिंद-प्रशांत क्षेत्र को यूरोप और एशिया (यूरेशिया) से जोड़ता है। यह बंदरगाह भारत को जोड़ने वाले इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर नेटवर्क का भी हिस्सा होगा। आईएनएसटीसी Iके द्वारा भारत अपने शिपमेंट को बहुत ही कम समय में रूस, यूरोप और सेंट्रल एशियाई मार्केट में पहुंचा पायेगा। चाबहार बंदरगाह ईरान में है और यह पोर्ट इस क्षेत्र और सेंट्रल एशिया के लिए माल ढोने का प्रमुख केंद्रों में से एक है। इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर भारत और रूस के बीच ट्रेड बढ़ाने का एक कॉरिडोर है। यह रूट 7200 किलोमीटर लंबा होने के साथ ही भारत और रूस को ईरान तथा अजरबैजान के माध्यम से जोड़ता है। इस कॉरिडोर से मालों का आवागमन सड़क, जाहाज और रेल तीनों के द्वारा होता है। कॉरिडोर के माध्यम से भारत और रूस के बीच होने वाले माल ढुलाई में आने वाली लागत को कम करने के साथ-साथ इसमें लगने वाले समय में कटौती करना है। आईएनएसटीसी प्रोजेक्ट में भारत, ईरान, रूस, अजरबैजान, आर्मेनिया, कजाकिस्तान, बेलारूस, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान, ओमान, तुर्की, सीरिया और यूक्रेन सहित कुल 13 देश शामिल हैं। इसके संस्थापक सदस्यों में भारत, रूस और ईरान शामिल रहे हैं। तीनों देशों के बीच साल 2002 में इससे संबंधित एक समझौता पर हस्ताक्षर हुआ था।
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