असम, गुवाहाटी : असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा ने विधानसभा में कहा कि राज्य सरकार जल्द ही कोयले और सुपारी के व्यापार और परिवहन के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी करेगी। शीतकालीन सत्र के चौथे दिन शून्यकाल के दौरान स्थानीय सुपारी और अवैध रूप से परिवहन की गई बर्मी सुपारी के बीच अंतर करने की समस्या को लेकर सरकार का पक्ष रखते हुए उन्होंने कहा कि आखिरकार दोनों में अंतर कौन तय करेगा।
जब सुपारी ले जाने वाले ट्रक एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं तो विपक्ष और मीडिया कहते हैं कि सिंडिकेट है। इसलिए समस्या से निपटने के लिए बराकघाटी के तीनों जिलों के उपायुक्तों को सुपारी के परिवहन के लिए उस क्षेत्र के स्थानीय विधायकों सहित हितधारकों के परामर्श से एक एसओपी तैयार करने का निर्देश दिया गया है। एसओपी करीब 10 जनवरी तक तैयार हो जाएगा।
उन्होंने स्वीकार किया कि बराक घाटी के साथ-साथ राज्य भर में चाय बागानों, सीमेंट निर्माताओं, ईंट भट्टों और अन्य क्षेत्रों को कोयले की कमी का सामना करना पड़ रहा है। वर्तमान में राज्य में कोयले का परिवहन प्रतिबंधित है। उन्होंने कहा कि मेघालय से निकलने वाले कोयले के लिए असम सिर्फ ट्रांजिट प्वाइंट है और इसे दूसरे राज्यों में भेजा जाता है। असम सरकार का मेघालय के कोयले से कोई लेना-देना नहीं है।
यह केवल मूल और गंतव्य के राज्यों से संबंधित है। जब हम केवल असम से गुजरने वाले कोयले के परिवहन में हस्तक्षेप करते हैं तो अन्य राज्य आपत्ति करते हैं। इसलिए हमारी सरकार अब यह पता लगाने के लिए कानूनी राय ले रही है कि क्या हमारे पास असम के रास्ते एक राज्य से दूसरे राज्य में भेजे गए कोयले का निरीक्षण करने का पुलिस अधिकार है।
इस मामले में एसओपी बनाई जाएगी। मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि कोयले के खनन, परिवहन और व्यापार को सुव्यवस्थित करने और राज्य भर में सुपारी के व्यापार और परिवहन के बारे में चर्चा करने के लिए जनवरी में एक सर्वदलीय बैठक आयोजित की जाएगी।