जम्मू कश्मीर, श्रीनगर : तीन दशक से भी अधिक समय से विस्थापन का दर्द झेल रहे कश्मीरी पंडितों में घर वापसी की आस जगी है। अब घाटी की आबोहवा बदल रही है। उन्हें अपनी माटी से जुड़ने का मौका एक बार फिर मिल सकता है। हालांकि टारगेट किलिंग की घटनाओं से उनमें माहौल के सामान्य होने को लेकर संशय भी बरकरार है। गौरतलब है कि सरकार की ओर से कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास की दिशा में युद्धस्तर पर काम किए जा रहे हैं। पीएम पैकेज के लगभग छह हजार पद भर लिए गए हैं, जो पूर्व में इस आशंका में नहीं भरी जाती थीं कि दोबारा कश्मीरी पंडित घाटी में लौट न आएं। उनकी आवास समस्या का भी निदान किया जा रहा है। सरकार की ओर से स्थायी रूप से कश्मीरी पंडितों को बसाने के लिए कई योजनाओं पर काम किया जा रहा है। इनमें उन्हें रियायती दर पर जमीन उपलब्ध कराना है। अब सरकार इनके स्थायी पुनर्वास की दिशा में प्रयास कर रही है। कई योजनाएं पाइपलाइन में है। इनमें रियायती दर पर उन्हें जमीन मुहैया कराकर ज्यादा से ज्यादा कश्मीरी पंडितों को घाटी में बसाने की योजना पर भी काम चल रहा है। हालांकि सरकार की ओर से अभी इस योजना का खुलासा नहीं किया गया है।
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