नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज मौत की सजा के प्रावधान वाले मामलों में दिशा-निर्देश जारी करने की मांग वाली याचिका को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ को सौंप दिया। अदालत को यह तय करना है कि मौत की सजा के प्रावधान वाले मामलों में अपराध की गंभीरता कम करने वाली संभावित परिस्थितियों पर कब और कैसे विचार किए जा सकता है? इस संबंध में दिशा-निर्देश बनाने से जुड़ी याचिका न्यायालय ने पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ को सौंप दी। मुख्य न्यायाधीश उदय उमेश ललित की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि उनका मानना है कि इस मामले में एक वृहद पीठ द्वारा सुनवाई किए जाने की आवश्यकता है। इस बारे में स्पष्टता एवं एकरूपता आएगी।
इससे यह साफ हो सकेगा कि मृत्युदंड के प्रावधान वाले मामलों के आरोपी के अपराध की गंभीरता कम करने वाली परिस्थतियों के संबंध में कब सुनवाई किए जाने की जरूरत है। न्यायाधीश एस रवींद्र भट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इस संबंध में आदेश के लिए इस मामले को प्रधान न्यायाधीश के समक्ष पेश किया जाए। अदालत ने 17 अगस्त को कहा था कि मृत्युदंड अपरिवर्तनीय है इसलिए अभियुक्त को राहत संबंधी परिस्थितियों पर सुनवाई का हर अवसर उपलब्ध कराया जाना चाहिए, ताकि अदालत यह निर्णय ले सके कि संबंधित मामले में मृत्युदंड वांछित नहीं है।