असम, मंगलदै: दरंग जिले के सिपाझार राजस्व के गोरुखूंटी में आज जिला प्रशासन द्वारा पुलिस के सहयोग से चलाए जा रहे अतिक्रमण हटाओ अभियान के दौरान स्थिति उस वक्त नियंत्रण के बाहर हो गई, जब इस अभियान से गुस्साए लोगों ने प्रशासनिक अधिकारियों और सुरक्षाबलों पर हमला बोल दिया। सैकड़ों लोगों की भीड़ ने न केवल पथराव किया बल्कि कई तरह के देसी हथियारों से पुलिस बल पर आक्रमण कर दिया।
उग्र भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने पहले लाठीचार्ज किया, फ़िर आंसू गैस के गोले छोड़े। लेकिन भीड़ और अधिक उग्र होती चली गई। स्थिति को नियंत्रण में लाने के उद्देश्य से पुलिस ने हवाई फायर किए और रबड़ की गोलियां भी चलाई। अंत में स्थिति को काबू से बाहर होती देख पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी। बताया जा रहा है कि पुलिस फायरिंग में दो लोगों की मृत्यु हो गई तथा दर्जन भर से अधिक घायल हो गए।
घायलों को मंगलदै सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पुलिस फायरिंग में मारे गए लोगों की पहचान सद्दाम हुसैन और शेख फरीद के रूप में हुई है। इलाके के लोगों का आरोप है कि प्रशासन ने उनके पुनर्वास की व्यवस्था के बगैर ही उनके घरों को तोड़ना शुरू कर दिया। इससे लोगों में गुस्सा फैल गया।उल्लेखनीय है कि इसके पहले गत सोमवार को सिपाझार के पास के धौलपुर गांव में प्रशासन ने इसी तरह का अभियान चलाकर 4500 बीघा जमीन अवैध अतिक्रमणकारियों के कब्जे से खाली करवाई थी।
पर उस दिन लोगों ने किसी तरह का कोई प्रतिवाद नहीं किया था। इस बीच गोरुखूंटी गांव और आसपास के अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में स्थिति बेहद तनावपूर्ण बनी हुई है। उधर घटना को लेकर राज्य भर में तीखी प्रतिक्रिया देखी जा रही है। विभिन्न राजनीतिक दलों में भी घटना के कड़े शब्दों में निंदा की है। असम के राष्ट्रीय स्तर के मानवाधिकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. दिव्यज्योति सैकिया ने भी घटना की निंदा की है।
उन्होंने कहा कि राज्य के गृह विभाग लगातार मानवाधिकार का उल्लंघन कर रहा है। उनका कहना है कि भले ही लोग सरकारी भूमि पर वर्षों से रह रहे थे, लेकिन सरकार को पहले उन्हें उचित व्यवस्था कर वहां से हटाने के लिए कदम उठाने चाहिए थे। बताया जा रहा है कि उन्हें वहां हटाने से पहले उन्हें कल नोटिस नहीं दिया गया और आज बिना समय दिए ही कार्रवाई की गई। ऐसा कर लोगों के बुनियादी अधिकार से वंचित अधिकार से करने का प्रयास किया गया, जो बिल्कुल सही नहीं है।
लोगों को जिस तरह से बेघर किया गया वह भी किसी मानव अधिकार उल्लंघन से कम नहीं है।सैकिया ने सवाल उठाते हुए कहा कि एक सरकार भला कैसे अपराधियों के जैसा आचरण कर सकती है। उन्होंने राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग से भी मामले की संज्ञान लेते हुए कड़े कदम उठाने की मांग की है।