उत्तर प्रदेश, गोरखपुर : भ्रष्टाचार का तत्कालीन अवर अभियंता हीरालाल उपाध्याय को तीन साल के कठोर कारावास एवं 50 हजार रुपये अर्थदंड से दंडित किया है। अर्थदंड न देने पर अभियुक्त को छह माह का कारावास अलग से भुगतना होगा।अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक परमानंद राम त्रिपाठी का कहना था कि 26 सितंबर 1989 को एक समाचार पत्र में एक खबर लाखों के घोटाले को दबाने की कोशिश, जिसमे शारदा खण्ड 51 सिंचाई विभाग प्रतापगढ़ के अवर अभियंता आदि के विरुद्ध भ्रष्टाचार के आरोपों का प्रकाशन हुआ था। जांच में पाया गया कि अभियुक्त हीरालाल उपाध्याय अवर अभियंता ने चार अक्तूबर 1979 से आठ अक्तूबर 1985 के मध्य अपने द्वारा संपादित कराए गए लोकहित के निर्माण कार्यों में तीन लाख 33 हजार 474 रुपये 85 पैसों का ब्योरा अपने सक्षम अधिकारी को नहीं प्रस्तुत किया था।
बैठकों में अब नहीं होगा अधिकारियों के पदनामों का उल्लेख
हिमाचल प्रदेश, शिमला : हिमाचल प्रदेश के विभिन्न विभागों की बैठकों की कार्यवाही में अब अधिकारियों के नाम या पदनामों...
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