पश्चिम बंगाल/असम, कोलकाता/गुवाहाटी : भारतीय विज्ञान व युक्तिवादी समिति की ओर से 17 अप्रैल को रामनवमी के त्योहार के दौरान रामलला के सूर्य तिलक कार्यक्रम को अलौकिक बताने पर कड़ी आपत्ति जताते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के मंत्री और महानिदेशक दूरदर्शन को पत्र लिखा है। समिति के महासचिव मनीष राय चौधरी ने 19 अप्रैल को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के मंत्री और महानिदेशक दूरदर्शन को लिखे पत्र में कहा यह बेहद शर्म और दुख की बात है कि दूरदर्शन ने अपने फेसबुक पेज पर 17 अप्रैल को रामनवमी के त्योहार के दौरान ‘रामलला के सूर्य तिलक कार्यक्रम को अलौकिक बताया है। उस पेज में बताया गया है कि राम सूर्यवंशी हैं और सूर्य उनके पूर्वज हैं, सूर्य देव ने रामनवमी के पवित्र त्योहार पर अपने परिवार में जन्मे रामलला को तिलक लगाया था। इस अलौकिक क्षण का साक्षी बनना एक आशीर्वाद है। उन्होंने कहा कि यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि रामलला का सूर्य तिलक वैज्ञानिक तकनीक का क्रियान्वयन मात्र है। इसमें कुछ भी अलौकिक नहीं छिपा है और पौराणिक कथाओं को इस तरह प्रस्तुत करना अनैतिक है। महासचिव ने कहा इस संदर्भ में हम आपको याद दिलाना चाहेंगे कि दूरदर्शन ने 2022 के 18 मई को अधिसूचना संख्या 01/2022-ऑप्स के माध्यम से प्रकाशित प्रसार भारती के कार्यक्रम संहिता का उल्लंघन किया है। उपर्युक्त नोटिस के अनुसार प्रसार भारती (ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन) का कार्यक्रम कोड ऐसी किसी भी चीज़ की अनुमति नहीं देता है, जो हठधर्मिता या अंधविश्वास को प्रोत्साहित करती है और वैज्ञानिक सोच और जांच की भावना के विकास में बाधा डालती है। चौधरी ने कहा हम रामलला के सूर्य तिलक कार्यक्रम की इस तरह की अनुचित प्रस्तुति की कड़ी निंदा करते हैं, जिससे आम लोगों में अंधविश्वास बढ़ेगा। हम अनुरोध करते हैं कि भविष्य में ऐसी घटना से बचने के लिए इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई की जाएं। उल्लेखनीय है 14 अप्रैल को रामनवमी के त्योहार के दौरान उत्तर प्रदेश के अयोध्या स्थित राम मंदिर में स्थापित रामलला का सूर्य तिलक किया गया था। सूर्य तिलक के लिए वैज्ञानिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के सहयोगी वैज्ञानिक संस्थान ने इस तकनीक को इंस्टॉल किया है, जिसका नाम है इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए)। वहीं दूसरी ओर असम के राष्ट्रीय स्तर के मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं अंधविश्वास विरोधी नेता डॉ. दिव्यज्योति सैकिया ने भी इसकी कड़ी निंदा करते हुए इसे अंधविश्वास फैलाने वाला करतूत करार दिया है। उनका कहना था कि इस कदम से न केवल लोगों में अंधविश्वास फैलेगा बल्कि आज के आधुनिक युग में युवा पीढ़ी को भी गलत संदेश प्रेषित करेगा। उनका कहना था कि अगर इसे धर्म के नाम पर लोगों में अंधविश्वास फैलाने की कोशिश है तो शायद अतिशयोक्ति नहीं होगी। उन्होंने कहा कि आज जमाना विज्ञान का है और विज्ञान की आड़ लेकर इसे चमत्कार कहना दुर्भाग्यजनक है। वैसे भी देश में जादू टोना चमत्कार अंधविश्वास के नाम पर लोगों को मूर्ख बनाया जा रहा है और अब विज्ञान की आड़ लेकर लोगों के धर्म और आस्था के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। इसे किसी भी हाल में समाज के लिए हितकर नहीं कहा जा सकता। डॉ. दिव्यज्योति सैकिया हमेशा से युक्तिवादी समिति का साथ देते आए हैं और भविष्य में भी साथ देने की बात कही है।
युवाओं और छात्रों को नशे के खिलाफ जागृत करने पर डॉ. दिव्यज्योति सैकिया का प्रेरणादायक कार्यक्रम
असम, गुवाहाटी : असम के तिनसुकिया जिले में नशा, अंधविश्वास और कुरीतियों के खिलाफ 10 अलग-अलग स्थानों पर विद्यार्थियों एवं...
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