पश्चिम बंगाल, कोलकाता : कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की उन दो अलग-अलग याचिकाओं को सुनवाई के लिए स्वीकार करने के संबंध में आज अपना आदेश सुरक्षित रख लिया, जिनमें आरजी कर अस्पताल बलात्कार-हत्या मामले के दोषी संजय रॉय को आजीवन कारावास की सजा सुनाने संबंधी अधीनस्थ अदालत के आदेश को चुनौती दी गई है। न्यायमूर्ति देबांग्शु बसाक की अगुवाई वाली अदालत की खंडपीठ ने राज्य सरकार और सीबीआई दोनों का पक्ष सुना। दोनों ने दलील दी कि अपराध के एकमात्र दोषी रॉय को जीवन की अंतिम सांस तक आजीवन कारावास की सियालदह सत्र न्यायालय द्वारा सुनाई गई सजा पर्याप्त नहीं है। दोनों याचिकाओं में दोषी को मृत्युदंड दिए जाने का अनुरोध किया गया है। सीबीआई ने दावा किया है कि केवल उसे अधीनस्थ अदालत के आदेश को सजा के अपर्याप्त होने के आधार पर उच्च न्यायालय में चुनौती देने का अधिकार है क्योंकि उसने मामले की जांच की और वह अभियोजन एजेंसी थी। राज्य सरकार ने तर्क दिया कि केंद्रीय एजेंसी के अलावा वह भी अधीनस्थ अदालत द्वारा दी गई सजा को अपर्याप्त बताते हुए अपील दायर कर सकती है। पश्चिम बंगाल सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने राज्य की याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करने के पक्ष में तर्क देते हुए खंडपीठ के समक्ष बहस की शुरुआत की। खंडपीठ के पूर्व निर्देशानुसार, पीड़िता के माता-पिता और दोषी का अदालत में प्रतिनिधित्व उनके संबंधित वकीलों ने किया। सियालदह सत्र अदालत ने नौ अगस्त, 2024 को आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ड्यूटी पर मौजूद एक महिला चिकित्सक से बलात्कार और उसकी हत्या करने के दोषी रॉय को जीवन की अंतिम सांस तक आजीवन कारावास में रखे जाने की सजा सुनाई गई है
बैठकों में अब नहीं होगा अधिकारियों के पदनामों का उल्लेख
हिमाचल प्रदेश, शिमला : हिमाचल प्रदेश के विभिन्न विभागों की बैठकों की कार्यवाही में अब अधिकारियों के नाम या पदनामों...
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