नई दिल्ली : संसद का बजट सत्र आज से शुरू हो गया है। इस सत्र की शुरुआत राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण से हुई। संसद में राष्ट्रपति का संबोधन युवाओं और डिजिटल इंडिया पर केंद्रित रहा। राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा स्टार्ट-अप ईको-सिस्टम, हमारे युवाओं के नेतृत्व में तेजी से आकार ले रही अनंत नई संभावनाओं का उदाहरण है। दिसंबर 2021 में देश में आठ लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का लेन-देन यूपीआई के माध्यम से हुआ है।
राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार के निरंतर प्रयासों से भारत एक बार फिर विश्व की सर्वाधिक तेजी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन गया है। सरकार की नीतियों की वजह से आज भारत उन देशों में है जहां इंटरनेट की कीमत सबसे कम है। यहां स्मार्ट फोन की कीमत भी सबसे कम है। इसका बहुत बड़ा लाभ भारत की नौजवान पीढ़ी को मिल रहा है। आज भारत विश्व में दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्माता बनकर उभरा राष्ट्रपति ने कहा कि कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में भारत के सामर्थ्य का प्रमाण कोविड वैक्सीनेशन प्रोग्राम में नजर आया है।
आज देश में 90 प्रतिशत से अधिक वयस्क नागरिकों को टीके की एक डोज़ मिल चुकी है, जबकि 70 प्रतिशत से अधिक लोग दोनों डोज़ ले चुके हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार ने तीन तलाक को कानूनन अपराध घोषित कर समाज को इस कुप्रथा से मुक्त करने की शुरुआत की है। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तीकरण सरकार की उच्च प्राथमिकताओं में से एक है। बेटे-बेटी को समानता का दर्जा देते हुए सरकार ने महिलाओं के विवाह के लिए न्यूनतम आयु को 18 वर्ष से बढ़ाकर पुरूषों के समान 21 वर्ष करने का विधेयक भी संसद में प्रस्तुत किया है।
अभिभाषण के दौरान राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार भारत की प्राचीन विरासत को संरक्षित, समृद्ध और सशक्त करना अपना दायित्व समझती है। सरकार की यह भी प्राथमिकता रही है कि भारत की अमूल्य धरोहरों को देश में वापस लाया जाए। सौ वर्ष पूर्व भारत से चोरी हुई मां अन्नपूर्णा देवी की मूर्ति को वापस लाकर काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित किया गया है। वर्ष 2047 में देश अपनी आज़ादी की शताब्दी पूरी करेगा।
उस समय के भव्य, आधुनिक और विकसित भारत के लिए हमें आज कड़ी मेहनत करनी होगी। हमें अपने परिश्रम को पराकाष्ठा तक लेकर जाना है और यह सुनिश्चित करना है कि अंततः इसके लाभकारी परिणाम निकलें। इसमें हम सबकी भागीदारी है और समान भागीदारी है। आज देश की उपलब्धियां और सफलताएँ देश के सामर्थ्य और संभावनाओं के समान ही असीम हैं। ये उपलब्धियां किसी एक संस्था या प्रतिष्ठान की नहीं हैं, बल्कि देश के कोटि-कोटि नागरिकों की हैं। इनमें करोड़ों देशवासियों का श्रम और पसीना लगा है।