असम, गुवाहाटी: असम सरकार ने जब से माइक्रोफाइनेंस ऋण को माफ करने के लिए शर्तें लागू की है तब से ही राज्य भर में महिलाएं सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखी है।
उनका कहना है कि सरकार अपने वादे से मुकर कर उनके साथ वादाखिलाफी कर रही है। हम ऐसा नहीं होने देंगे। सरकार को बिना शर्त हमारे ऋण को माफ करना होगा। इस संदर्भ में विपक्षी दल भी सरकार को घेर रही है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद रिपुन बोरा ने कहा कि राज्य सरकार शर्त लगाकर कर्जदार महिलाओं से विधानसभा चुनाव के दौरान किये गये वादे से मुकर रही है। चुनाव के समय मुख्यमंत्री डॉ हिमंत विश्व शर्मा ने माइक्रोफाइनेंस कंपनियों से ऋण लेने वाली महिलाओं से ऋण रिहाई का वादा किया था। लेकिन कमेटी के अध्यक्ष मंत्री अशोक सिंघल ने कहा कि एक लाख से नीचे आय वाले महिलाओं के ऋण ही माफ किये जाएंगे।
इसके अलावा कमेटी ने और कई शर्तें रखी हैं। ऐसे में यह स्पष्ट हो जाता है कि भाजपा ने चुनाव के दौरान माइक्रोफाइनेंस कंपनियों से प्रताड़ित केवल महिलाओं का वोट हासिल करने के लिए ऋण माफी के वादे किए थे।
जैसे ही सरकार बनी अपने वादे से मुकर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को इसका जवाब देना होगा।