भारत का समुद्री क्षेत्र अर्थव्यवस्था की रीढ़ : सोनोवाल
महाराष्ट्र, मुंबई : भारत समुद्री सप्ताह (आईएमडब्ल्यू) 2025 का आगाज हो चुका है। इस पांच दिवसीय सम्मेलन का आयोजन पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय कर रहा है। यह विश्व स्तर पर सबसे बड़ा समुद्री सम्मेलन है, जिसमें समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के प्रमुख हितधारक एक साथ जमा हुए हैं। इस मौके पर हरित समुद्री दिवस सत्र में केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने एक टिकाऊ और लचीले समुद्री भविष्य के निर्माण पर भारत के अटूट ध्यान पर प्रकाश डाला। यह एक ऐसा दिन है, जो वैश्विक जलयात्रा के लिए एक स्वच्छ और अधिक टिकाऊ भविष्य को आकार देने के हमारे साझा संकल्प का प्रतीक है। सोनोवाल ने कहा कि भारत का समुद्री क्षेत्र उसकी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, जहां देश का 95 प्रतिशत से ज़्यादा व्यापार समुद्र के ज़रिए होता है। 2070 तक नेट ज़ीरो प्रतिबद्धता के तहत भारत का लक्ष्य 2030 तक प्रति टन कार्गो कार्बन उत्सर्जन में 30 प्रतिशत और 2047 तक 70 प्रतिशत की कमी लाना है, जिससे यह क्षेत्र जलवायु कार्रवाई का एक प्रमुख चालक बन जाएगा। सोनोवाल ने इस बात पर जोर दिया कि सागरमाला कार्यक्रम भारत समुद्री विजन 2030 हरित सागर दिशानिर्देश और अमृत काल विजन 2047 जैसी प्रमुख पहल भारत के समुद्री विकास के मूल में स्थिरता, नवाचार और जलवायु उत्तरदायित्व को रखती हैं। राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के माध्यम से भारत ने वीओसी, पारादीप और दीनदयाल बंदरगाहों को हरित हाइड्रोजन केंद्र के रूप में नामित किया है, जिससे स्वच्छ ईंधन अर्थव्यवस्था की नींव रखी जा रही है। देश भर में 12 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक हरित हाइड्रोजन-आधारित ई-ईंधन क्षमता की घोषणा की गई है, जिसमें बंदरगाह उत्पादन, बंकरिंग और निर्यात के केंद्र के रूप में उभर रहे हैं, जिससे औद्योगिक विकास और हरित रोज़गार को बढ़ावा मिल रहा है। सोनोवाल ने कहा कि जैसा कि हम अमृत काल 2047 की ओर देख रहे हैं, हमारा लक्ष्य न केवल समुद्री क्षमता का विस्तार करना है, बल्कि इसे और अधिक हरित, स्मार्ट और लचीला बनाना भी है। प्रमुख वैश्विक व्यापार मार्गों पर अपनी अनूठी भौगोलिक स्थिति के साथ भारत स्वच्छ ऊर्जा व्यापार के माध्यम से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों को जोड़ते हुए हरित जल यात्रा गलियारा का केंद्र बनने के लिए तैयार है। भारत का पहला राष्ट्रीय तटीय-ऊर्जा मानक, जहाजों को डॉक पर खड़े होने के दौरान स्वच्छ बिजली प्राप्त करने में सक्षम बनाएगा, जिससे बंदरगाह-किनारे उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी आएगी। जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह प्राधिकरण (जेएनपीए) जैसे बंदरगाह बैटरी चालित ट्रकों और इलेक्ट्रिक लॉजिस्टिक्स प्रणालियों के साथ शून्य-उत्सर्जन संचालन की ओर इस बदलाव का नेतृत्व कर रहे हैं। सोनोवाल ने कहा समुद्री परिवर्तन अकेले नहीं किया जा सकता, इसके लिए सरकारों, उद्योग, वित्तपोषकों और प्रौद्योगिकी क्षेत्र के अग्रणी लोगों के बीच साझेदारी की आवश्यकता है। उन्होंने आगे कहा हम मिलकर यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि जो समुद्र हमें जोड़ते हैं, वे हमें एक ऐसे भविष्य के निर्माण के उद्देश्य से भी एकजुट करें जहाँ समुद्री व्यापार समृद्धि और स्थिरता दोनों को बढ़ावा दे।
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