हिंसा के पीछे कौन सी बुरी ताकत थी?
असम, गुवाहाटी : 42 साल बाद तिवारी आयोग की रिपोर्ट जारी हो गई है। असम अशांति पर आयोग का गठन फरवरी 1983 में हुए नेली नरसंहार के बाद किया गया था। इसका नेतृत्व उत्तर प्रदेश के सेवानिवृत्त मुख्य सचिव त्रिभुवन प्रसाद तिवारी। जांच आयोग अधिनियम 1962 के अंतर्गत गठित मई 1984 में तिवारी ने असम सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी। तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रफुल्ल महंत ने मार्च 1987 में विधानसभा में रिपोर्ट पेश की, लेकिन विधायकों को इसकी प्रतियां नहीं बांटीं, जिसके कारण महंत ने अभी तक स्पष्ट नहीं किए हैं। हालांकि कुछ तत्कालीन विधायकों ने दावा किया कि उन्हें रिपोर्ट मिल गई है। तिवारी आयोग की रिपोर्ट में 1983 की हिंसा के लिए अखिल असम छात्र संघ और असम गण संग्राम परिषद को दोषी ठहराया गया था। रिपोर्ट में 1983 के चुनावों को एक संवैधानिक दायित्व और लोकतांत्रिक जिम्मेदारी बताया गया। पृष्ठ 550 के अनुच्छेद 17 में कहा गया है कि केवल एक निर्वाचित सरकार ही लोगों की समस्याओं का समाधान कर सकती है। हालांकि तिवारी इस बात पर चुप रहे कि 1980 के चुनाव अवैध विदेशियों से भरी मतदाता सूची के साथ होने थे।
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