पंजाब, चंडीगढ़ : पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय ने यह साफ कर दिया कि जीवनसाथी पर बिना किसी सुबूत अवैध संबंध का आरोप लगाना उसके और उसके परिवार के प्रति क्रूरता है। इसे आधार बनाते हुए दिया गया मोगा की पारिवारिक अदालत का फैसला बिलकुल सही है। पारिवारिक अदालत में याचिका दाखिल करते हुए पति ने बताया था कि उसका विवाह 2011 में हुआ था। विवाह के कुछ समय बाद ही उसे पता चल गया कि उसकी पत्नी गुस्सैल है। 2013 में वह ससुराल छोड़कर मायके चली गई।
पंचायत के बाद वह घर लौटी, लेकिन कुछ दिनों बाद फिर से वह पुरानी हरकतें दोहराने लगी। पत्नी का आरोप था कि पति का उसकी भाभी के साथ अवैध संबंध है। पारिवारिक अदालत ने सुनवाई के बाद पति के हक में फैसला सुनाते हुए तलाक का आदेश दिया था। इस आदेश को चुनौती देते हुए पत्नी ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी। उच्च न्यायालय ने कहा कि इस प्रकार का आरोप बिना किसी प्रमाण के लगाना जीवनसाथी के प्रति क्रूरता की श्रेणी में आता है।
इसी क्रूरता के आधार पर तलाक का आदेश दिया गया था जो बिलकुल सही है। इन टिप्पणियों के साथ ही पत्नी द्वारा फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया।