मध्य प्रदेश सरकार एवं निजी विद्यालय प्रबंधन आमने सामने

मध्य प्रदेश, भोपाल: राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तीसरी लहर की आशंका खत्म होने तक स्कूल बंद रखने एवं स्कूल प्रबंधन से ट्यूशन फीस के अलावा कोई अतिरिक्त राशि नहीं लेने का ऐलान किया है। इस आदेश का निजी स्कूलों ने कड़ा विरोध शुरू कर दिया है। उन्होंने राज्य के 20 हजार स्कूलों में 12 जुलाई से अनिश्चितकाल के लिए लॉकडाउन की चेतावनी दी है।

यहां तक की उन लोगों ने ऑनलाइन पढ़ाई भी बंद करने की बात कही है। एक तरह से कहा जाए कि सरकार और निजी स्कूल आमने सामने आ गए हैं तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। स्कूल प्रबंधन का कहना है कि पिछले 15 महीने से स्कूल बंद होने के बावजूद उनके खर्च जारी है। हमने सरकार से कोई भी मदद नहीं मांगी है, लेकिन सरकार ने केवल ट्यूशन फीस लेने का जो आदेश दिया है वह हमें मंजूर नहीं।

सरकार अगर हमें फैसले पर अमल करने को मजबूर करती है तो मजबूरन हमें न केवल 12 जुलाई से सभी स्कूल बंद करना पड़ेगा, बल्कि हमें सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरने को बाध्य होना पड़ेगा। निजी स्कूलों की संस्था एसोसिएशन ऑफ अन एडेड प्राइवेट स्कूल्स ने 12 जुलाई से स्कूलों को बंद रखने का ऐलान किया है। एसोसिएशन के उपाध्यक्ष विनय राज मोदी का कहना है कि प्रदेश में 20 हजार से अधिक प्राइवेट स्कूल हैं। जिनसे स्कूल संचालक, शिक्षक, यूनिफार्म, कॉपी-किताब, बस आदि जुड़े हैं और इन्हीं पर लाखों परिवार आश्रित है।

ऐसे में सरकार स्कूल खोलने के बजाय का अपना फरमान हम पर थोपने की कोशिश कर रही है, जो हमें स्वीकार्य नहीं। सरकार के मनमाने फैसले को हम स्वीकार नहीं करेंगे और जरूरत पड़े तो हम सड़कों में उतरने से भी गुरेज नहीं करेंगे।

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