राहुल गांधी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर उठाए सवाल

 

नई दिल्ली : लोकसभा में बुधवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव को लेकर चर्चा शुरू हुई। इस दौरान विपक्ष की ओर से सबसे पहले कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने अपनी बात रखी। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में भारत की चुनौतियों के बारे में एक-दो बातों का जिक्र नहीं किया गया है।

मुझे लगता है कि राष्ट्रपति का अभिभाषण ब्यूरोक्रेटिक विचारों का जिक्र था। राष्ट्रपति के अभिभाषण में भारत की चुनौतियों के बारे में एक-दो बातों का जिक्र नहीं किया गया है। मुझे लगता है कि राष्ट्रपति का अभिभाषण ब्यूरोक्रेटिक विचारों का जिक्र था। इसमें सच्चाई का काफी अभाव था। अभिभाषण में कामों की लंबी सूची तो थी, लेकिन इसमें यह नहीं बताया गया कि आज भारत बंट चुका है।

आज एक नहीं दो भारत हो गए हैं। उन्होंने कहा कि हमारे देश में दो हिंदुस्तान बसते हैं- एक अमीरों का हिंदुस्तान और एक गरीबों का हिंदुस्तान। अब इन दोनों हिंदुस्तानों में खाई बढ़ती जा रही है। रोजगार ढूंढने के लिए उत्तर प्रदेश, बिहार में रेलवे की नौकरी के लिए युवाओं ने क्या किया। उसके बारे में जिक्र नहीं हुआ। भारत के युवाओं के पास रोजगार नहीं है। राष्ट्रपति के अभिभाषण में बेरोजगारी का जिक्र नहीं है।

सब जगह युवा सिर्फ एक ही चीज मांग रहा है- रोजगार। यह आपकी सरकार नहीं दे पा रही है। उन्होंने कहा कि इस पिछले साल तीन करोड़ युवा रोजगार खो चुके हैं। आप बात करते हो रोजगार देने की। 2021 में तीन करोड़ युवा खो चुके हैं। पचास साल में सबसे ज्यादा बेरोजगारी आज हिंदुस्तान में है। आपने मेक इन इंडिया की बात की, मगर जो रोजगार युवाओं को मिलना चाहिए, वो उन्हें नहीं मिला और ऊपर से बेरोजगारी पैदा हुई है।

आप ने अपने भाषण में रोजगार को लेकर कुछ नहीं कहा। उन्होंने कहा कि ये स्थिति पैदा कैसे हुई। ये दो हिंदुस्तान पैदा कैसे हुए? रोजगार, स्मॉल-मीडियम इंडस्ट्री और इनफॉर्मल सेक्टर है। लाखों-करोड़ रुपया आपने उनसे छीनकर हिंदुस्तान के सबसे बड़े अरबपतियों को दिलवा दिया। अपने पिछले सालों में स्मॉल-मीडियम एंटरप्राइजेज पर एक के बाद एक हमला किया है। मैं आपको खुश करने के लिए अपने भाषण में आखिरी साठ साल की बात करुंगा। नोटबंदी, गलत जीएसटी और कोरोना के समय जो गरीबों को समर्थन देना था, वो आपने उन्हें नहीं दिया। नतीजा यह हुआ कि आज 84 फीसदी हिंदुस्तान के लोगों की आमदनी घटी है।

और वे तेजी से गरीबी की ओर बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि आप साठ साल की बात कर रहें हैं तो बता दूं कि हमारी सरकार ने 27 करोड़ लोगों को गरीबी से निकाला था। ये हमारा आंकड़ा नहीं है। आप हंसिए, लेकिन ये हमारा आंकड़ा नहीं है। हमने 27 करोड़ लोगों को गरीबी से निकाला था और 23 करोड़ लोगों को आपने गरीबी में वापस डाल दिया है। उन्होंने कहा कि फॉर्मल सेक्टर में मोनोपॉली (एकाधिपत्य) बन गई है।

दो सबसे बड़े मोनोपॉलिस्ट के बारे में भी बोलूंगा। कोरोना के समय अलग-अलग वैरिेएंट्स आते हैं। ये दो भी दो अलग-अलग वैरिएंट्स हैं। ये हिंदुस्तान की अर्थव्यवस्था में फैल रहा है। हिंदुस्तान के सभी पोर्ट्स, एयरपोर्ट्स, पावर, ट्रांसमिशन, माइनिंग, ग्रीन एनर्जी, गैस, एडिबल ऑयल के क्षेत्र में अब अडानी दिखाई देते हैं और दूसरे को टेलिकॉम, पेट्रोकेमिकल और ई-कॉमर्स में मोनोपोली दे दी गई। इसलिए सारा धन इन्हीं हाथों में जा रहा है।

आप इन्फॉर्मल सेक्टर को बढ़ा देते, तो दो हिंदुस्तान नहीं बनते, लेकिन आपने असंगठित क्षेत्र को खत्म कर दिया। अगर आप उनकी मदद करते तो फिर उत्पादन क्षेत्र तैयार हो सकता था। मगर जो लोग आपका मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर बना सकते थे, उन्हें ही आपने खत्म कर दिया। आप मेड इन इंडिया की बात करते हैं, लेकिन मेड इन इंडिया हो ही नहीं सकता। आपने उन्हें परे कर दिया। स्मॉल-मीडियम इंडस्ट्री को खत्म कर दिया।

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