नई दिल्ली : किसान आंदोलनकारियों की ओर से तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ हाईवे जाम करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया। अदालत ने आज कहा कि किसी भी मामले को संसद की बहस, अदालत की सुनवाई और आंदोलन के लिए सुलझाया जा सकता है। लेकिन इसके लिए हाईवे जाम करना ठीक नहीं है।
इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस मामले में दायर याचिका में किसान संगठनों को भी पार्टी बनाने की अनुमति दी है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि जब संसद में बहस, न्यायिक मंचों के जरिए समस्या का हल हो सकता है तो फिर सड़कों को जाम क्यों किया गया है। शीर्ष न्यायालय ने यह भी कहा कि अब अर्जी दायर होने के बाद अगले सोमवार को इस मामले की सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि समस्या का समाधान न्यायिक मंच, आंदोलन या संसदीय बहस के माध्यम से हो सकता है।
सु्प्रीम कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया की हाईवे को इस तरह से कैसे जाम किया जा सकता है। इससे पहले बीते माह भी सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए यह कहा था किसानों को प्रदर्शन का अधिकार है लेकिन सड़कों को अनिश्चिकाल के लिए जाम नहीं किया जा सकता है। उस समय सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केंद्र और संबंधित राज्य, कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन की वजह से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र ( एनसीआर) में लोगों को आने जाने में हो रही परेशानी का निराकरण निकालें।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन समस्याओं का निदान सुप्रीम कोर्ट के पास नहीं बल्कि संबंधित सरकारों के पास है। बता दें कि केंद्र सरकार के लाए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान बीते साल नवंबर माह से दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर धरना दे रहे हैं। इसकी वजह से कई रूट को डायवर्ट तक करना पड़ा है और कई जगह लंबे जाम लग रहे हैं।